OPS Update : समाचार अपडेट: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों को जल्द ही पुरानी पेंशन योजना का लाभ प्राप्त होगा। केंद्र सरकार इस प्लान को लागू करने का प्लान बना रही है।
केंद्र सरकार अब ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के बजाय नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में परिवर्तन के संभावित राजनीतिक नुकसान को विचार कर रही है। वित्त सचिव के अध्यक्षता में बनी चार सदस्यों की कमेटी अब ‘ओपीएस’ जैसे सिस्टम पर विचार कर रही है।
हालांकि इस समय सरकार द्वारा इस बारे में कोई आधिकृत घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इसका सुझाव दिया जा रहा है कि यह कमिटी ‘ओपीएस’ के विशेषताओं को ध्यान में रखकर ‘एनपीएस’ में कुछ सुधार कर सकती है, जो इसके बारे में चर्चा कर रही है।
‘एनपीएस’ योजना को खत्म किया जाए OPS Update
- केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में बदलाव के लिए
- एक चार सदस्य कमेटी की गठन किया था।
- इस कमेटी ने 9 जून को कर्मचारियों की राष्ट्रीय परिषद
- ‘जेसीएम’ के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की थी।
- कर्मचारी पक्ष द्वारा स्पष्ट तौर पर कमेटी को यह बताया कि
- वे पुरानी पेंशन के अलावा किसी और योजना को स्वीकार नहीं करेंगे।
- कमेटी के अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि
- कर्मचारी पक्ष द्वारा दिए गए सभी ज्ञापनों पर ध्यान दिया जाएगा।
- चर्चा के दौरान, उठे हुए सभी मुद्दों पर गौर किया जाएगा।
- अंतिम रिपोर्ट में कर्मचारी पक्ष द्वारा व्यक्त की गई
- चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
- एनपीएस में कर्मियों को प्राप्त पेंशन को कुछ कर्मचारियों ने बुढ़ावा पेंशन के रूप में देखा है।
- कर्मियों ने यह भी कहा है कि देश में सरकारी कर्मियों, पेन्शनरों, उनके परिवारों, और रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ को पार कर जाती है।
- ओपीएस का लागू नहीं होने पर इसे लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए राजनीतिक नुकसान उठाना हो सकता है।
- कांग्रेस पार्टी ने ओपीएस को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया है।
- कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश की जीत में ओपीएस ने बड़ी भूमिका निभाई है।
एनपीएस में सामाजिक सुरक्षा की गारंटी नहीं
OPS Update : शिवगोपाल मिश्रा, गिरीराज सिंह, एसके त्यागी, राजेंद्र भारद्वाज, अनूप शर्मा, और सीजीएचएस के जयदेव दहिया जैसे कई कर्मचारी संगठनों के सदस्यों ने ओपीएस की बहाली की मांग की है।
मिश्रा ने इस मामले में यह कहा है कि एनपीएस को समाप्त करके पुरानी पेंशन योजना को पुनर्निर्माण करने की आवश्यकता है।
इस सन् 2004 के जनवरी से सरकारी सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना से बाहर किया गया था।
एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मचारी, जो 18 साल बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं, को निम्नलिखित प्रकार की मासिक पेंशन मिल रही है:
- पहले कर्मी को 2417 रुपये प्रतिमाह की पेंशन
- दूसरे कर्मी को 2506 रुपये प्रतिमाह की पेंशन
- तीसरे कर्मी को 49 सौ रुपये प्रतिमाह की पेंशन
यह आंकड़े ओपीएस और पुरानी पेंशन योजना के बीच के विभिन्नताओं को दर्शाते हैं।
अगर ये कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत होते, तो उन्हें प्रतिमाह निम्नलिखित पेंशन मिलती:
- 15250 रुपये
- 17150 रुपये
- 28450 रुपये
एनपीएस में कर्मचारी द्वारा हर माह अपने वेतन का 10% शेयर करने के बावजूद उन्हें रिटायरमेंट पर मामूली सी पेंशन मिलती है।
इस शेयर को 14% या 24% तक बढ़ाने का कोई फायदा नहीं होगा, जैसा कि मिश्रा ने कहा है।
ओपीएस में एनपीएस के बराबर महंगाई राहत के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं होता,
जबकि पुरानी पेंशन योजना में सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को आर्थिक फायदा मिलता है।
एनपीएस में सामाजिक सुरक्षा की गारंटी भी नहीं होती, और रिटायरमेंट के बाद
सरकारी कर्मचारियों को कष्टों में धकेला जाता है।
ओपीएस पर दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला OPS Update
- मिश्रा ने बताया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बीडी चंद्रचूड, जस्टिस बीडी तुलजापुरकर, जस्टिस ओ. चिन्नप्पा रेड्डी और जस्टिस बहारुल इस्लाम शामिल थे, ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत राइट पेटीशन संख्या 5939 से 5941 को लेकर 17 दिसंबर 1981 को प्रसिद्ध निर्णय दिया था।
- इस निर्णय के पैरा 31 में उल्लिखित बातें हैं:
- पेंशन न केवल एक पुरस्कार है, और न ही यह किसी अनुग्रह पर निर्भर है
- जो नियोक्ता की इच्छा पर आधारित होता है।
- यह 1972 के नियमों के तहत एक निहित अधिकार है जो
- प्राकृतिक रूप से वैधानिक है, क्योंकि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद
- 148 के खंड ’50’ के प्रावधानों के अनुसार अधिनियमित किया जाता है।
- पेंशन एक पूर्व सेवा के लिए भुगतान का रूप होता है, और यह किसी अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं होता।
- पेंशन समाजिक और आर्थिक न्याय का साधन करने वाला एक
- सामाजिक कल्याणकारी उपाय होता है, जो वे लोगों के लिए होता है जिन्होंने
- अपने जीवन के सुनहरे दिनों में नियोक्ता के इस आश्वासन पर कठिन मेहनत की है कि
- उनके बुढ़ापे में उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक तंगी से गुजरने की आशंका नहीं हो।
बहाल करनी होगी गारंटीशुदा पुरानी पेंशन योजना
OPS Update : कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों ने कमेटी के सामने अपनी मांगों के समर्थन में तमाम तर्क प्रस्तुत किए हैं।
कमेटी को बताया गया है कि एनपीएस को हर स्थिति में समाप्त करना होगा, और इसके स्थान पर परिभाषित और गारंटी वाली पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना आवश्यक होगा।
पहली जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों पर लागू राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को वापस लेने ही एकमात्र विकल्प है।
सरकार को, जिन कर्मचारियों ने जनवरी 2004 के बाद भर्ती होने के बाद नियुक्ति प्राप्त की है, उन्हें सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 के तहत पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाने की जरूरत है।
एनपीएस में कोई भी सुधार कर्मचारियों के लिए किसी काम का नहीं होगा।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने कभी भी इस मांग की है कि एनपीएस में शामिल कर्मचारियों को जीपीएफ योजना का लाभ मिलना चाहिए।
केंद्र सरकार, जीपीएफ खातों में रिटर्न के साथ संचित कर्मचारी योगदान जमा करने की मांग की है।
कमेटी का गठन, केवल एनपीएस में सुधार के लिए
- समिति की ओर से यह भी कहा गया है कि उसे एक निश्चित दायरे में ही काम करना होगा।
- उन्हें देखना होगा कि क्या सरकारी कर्मचारियों पर लागू राष्ट्रीय पेंशन
- प्रणाली के मौजूदा ढांचे और संरचना के आलोक में कोई परिवर्तन आवश्यक है।
- यदि ऐसा है, तो राजकोषीय निहितार्थों और समग्र बजटीय स्थान पर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत आने वाले सरकारी कर्मचारियों के पेंशन संबंधी लाभों में सुधार की दृष्टि से इसे संशोधित करने के लिए उपयुक्त उपायों के लिए सुझाव देना है।
- इसमें आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए राजकोषीय विवेक बनाए रखने पर ध्यान दिया जाएगा।
- हालांकि समिति के अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि कर्मचारी पक्ष द्वारा उनके ज्ञापन में दिए गए सभी बिंदुओं पर ध्यान देंगे।
- अंतिम रिपोर्ट तैयार करते समय कर्मचारी पक्ष द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
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