Tejas Movie Review: कंगना रनौत ने अपनी नई फिल्म ‘तेजस’ उमीदें लगाई है। इस फिल्म का ट्रेलर और पोस्टर देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह भारतीय एयर फोर्स के साथ जुड़ी हुई है। वहीं, कुछ समय पहले तक वह अपनी हिट फिल्मों के लिए जानी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ समय से वह और उनके फैंस हिट फिल्मों की कमी सह रहे हैं। इस दौरान, फिल्म ‘तेजस’ की रिव्यू और प्रतिक्रियाएं देखकर सबको यह जानने की उत्सुकता है कि इस फिल्म से क्या नए उम्मीदें जुड़ी हुई हैं।
Tejas Movie Review –लिंग भेद को मिटाने निकली तेजस गिल
तेजस गिल, एक वीर भारतीय वायुसेना का नाम, उसकी चयन प्रक्रिया संबंधित स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड से हुई। उसके ओएलक्यूज की जांच भी की गई जिससे पता चला कि उसे पसंद किया गया है। उसकी उत्सुकता और प्रेरणा पहले ही प्रशिक्षण के दिनों में दिखने लगी। उसके प्रशिक्षक उसे सराहते हैं और कहते हैं, “केवल तेजस ही ऐसा काम कर सकता है।” फिल्म ‘तेजस’ का मकसद केवल कंगना रणौत को हीरो की भूमिका में दिखाने से अधिक है।
उसने लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव को मिटाने का संदेश दिया। कहानी की शुरुआत एक निषिद्ध क्षेत्र घोषित द्वीप को बचाने की चुनौती लेकर होती है। उसका समापन तब होता है, जब तेजस ने अपने सपनों के बारे में अपने बॉयफ्रेंड को बताया। फिल्म के अंत का इंतजार दर्शकों को करना पड़ता है, ताकि वे उसकी सफलता जान सकें। इस कहानी का मुख्य धारा 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले की यादगार आत्मा है। उसने अपनी आत्मा की बलिदान के लिए तैयार हो जाने की कहानी बहुत प्रेरणादायक है।
Tejas Movie Review –एक और मिशन पाकिस्तान
- फिल्मकार सर्वेश मेवाड़ा ने कंगना को हैदराबाद में कहानी सुनाई थी और उसने तय की फिल्म करने की।
- फिल्म के माध्यम से कंगना की छवि और उनकी उम्र को ध्यान में रखा गया था।
- उनका किरदार विंग कमांडर का था और 15 साल पहले की मेहनत भी दर्शकों को दिखाई गई।
- उनकी जिद ने हीरोइन के साथ काम करने की विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘रंगून’ के बाद से बढ़ी।
- कहानी में एक एजेंट को पाकिस्तान से छुड़ाकर लाने की योजना बनाई जाती है।
- तेजस की पहचान और एजेंट की मास्टरी को फिल्म में ध्यान में रखा गया था।
- हवाई दृश्यों ने फिल्म को एक देसी अंदाज में रचा था।
- फिल्म ने अभिनेत्री की अदाकारी और साहसिकता को साकार किया था।
लेखन और निर्देशन में औसत फिल्म
- ‘तेजस’ फिल्म की कहानी, सर्वेश मेवाड़ा ने एक काल्पनिक घटना पर आधारित बनाई है।
- इसमें कहानी की नाटकीयता और समय का भी विशेष महत्व है।
- तेजस की युवावस्था फिल्म की गति में बाधा बनती है।
- फिल्म की लंबाई छोटी होने के बावजूद इंटरवल के बाद भी रफ्तार बनी रहती है।
- लेकिन कहानी का इशारा शुरू में ही रोमांच का विकास क्रमिक नहीं होने देता।
- फिल्म को भारतीय वायुसेना का साथ मिला है और तकनीकी दृष्टि से वह निर्दोष है।
- ‘तेजस’ एक सीमित बजट में बनी फिल्म है जिसका उद्देश्य कंगना रणौत की छवि को मजबूत करना है।
- फिल्म में एक मजबूत इरादों वाली महिला का प्रतिबिम्ब मुख्य है।
- लेखन और निर्देशन में फिल्म औसत है, जो उनकी पहचान को मजबूत करती है।
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कंगना रणौत के अभिनय का ठहराव
- कंगना रणौत ने फिल्म ‘तेजस’ में अभिनय की मेहनत की है, जिसका परिणाम परदे पर दिख रहा है।
- उनकी मजेदार अदाओं ने दोस्त के दो बॉयफ्रेंडों से जुड़ी बात को रंग दिया है।
- कंगना की विंग कमांडर के रोल में अड़ती हुई मेहनत भी असरदार नहीं दिख रही है।
- सर्वेश की दृष्टि से कुछ दृश्यों के रीटेक के लिए रुचि नहीं जताई जा सकी।
- कंगना के चेहरे पर भावों की मजबूती के बावजूद, बैकग्राउंड म्यूजिक ध्यान खींच लेता है।
- अंशुल चौहान का अभिनय फिल्म में स्वाभाविक और परफेक्ट लगता है।
- आशीष विद्यार्थी रौबदार अफसर का किरदार उम्रदराजी से निभा रहे हैं।
- मोहन अगाशे देश के प्रधानमंत्री की भूमिका में रुआब और गालिब दिख रहे हैं।
- वरुण मित्रा ने स्टेज सिंगर की भूमिका में अच्छा प्रदर्शन किया है।
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स्पेशल इफेक्ट्स बने कमजोर कड़ी
- तेजस’ फिल्म के विशेष इफेक्ट्स में कमी है, जो कि पहले ही दृश्यों में दिखती है।
- फिल्म की शुरुआत में विशेष इफेक्ट्स से मूड स्थापित किया गया है।
- अयोध्या मंदिर के निर्माण से पहले उसमें दिखाए गए हिंसा का प्रदर्शन असरदार नहीं था।
- फिल्म की सिनेमैटोग्राफी नियमित है, लेकिन कोई नया प्रयोग नहीं किया गया।
- कहानी में क्षेपक कथाएं नहीं होने के कारण फिल्म की एडिटिंग आसान थी।
- फिल्म के गाने मुख्य धारा से हटकर लगते हैं और इसका प्रभाव देखने वालों पर पड़ता है।
- फिल्म में जिन किरदारों ने हिंदी बोली, वे गाने पंजाबी में गाते हैं और इसमें विचित्रता है।
- तेजस गिल के पिता के किरदार में उनके हिंदी गाने का प्रदर्शन उत्कृष्ट है।
- फिल्म के इस गाने को दर्शकों की यादगारी बनाने की खासियत है।
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