Chandrayaan-3: विशेषज्ञों का मानना है कि चंद्रयान-3 की सफलता के बावजूद, चंद्रयान-2 ने अपने सामर्थ्य से चंद्रयान-3 को पीछे छोड़ दिया। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को उन्नति के मार्ग पर भेजा गया था, हालांकि यह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सका।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर निरंतर अपना कार्य करता रहा
Chandrayaan-3: इसके बावजूद, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर निरंतर अपना कार्य करता रहा, चंद्र की सतह का मानचित्रण करता रहा और उच्च-संकल्पना वाले छवियां भेजता रहा। इसी ऑर्बिटर के कैमरों में Chandrayaan-3 की विशेष तस्वीरें भी संग्रहित हैं। इन तस्वीरों में चंद्रयान-3 की सफलता की घोषणा के साथ ही चंद्र की सतह पर धूल को उड़ाते हुए भी कैमरा को कैद किया गया है।
हाइलाइट्स
- चंद्रयान-3 को वह कर दिखाया जो चंद्रयान-2 नहीं कर सका
- चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर उड़ाया था धूल का बहुत बड़ा गुबार
- ये धूल इतनी ज्यादा थी कि स्पेश से देखी जा सकती थी
Chandrayaan-3: 23 अगस्त को भारत के चंद्रयान मिशन ने रचा था इतिहास
- भारतीय चंद्रयान मिशन ने 23 अगस्त को चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की घटना बनाई।
- चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद अपनी अगली चरण शुरू की।
- विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की धूल को उड़ाकर 2.06 टन लूनर एपिरेगोलिथ बना दिया।
- इस उपलब्धि ने चंद्रमा पर एक विशाल हेलो बनाया जिसे आकाश से भी देखा जा सकता था।
- इसका मतलब है कि भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है।
- इसरो की इस उपलब्धि ने विश्व भर में भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई पहचान दी।
- इस सफलता ने देश में उत्साह और गर्व की भावना को बढ़ावा दिया।
- इसमें भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत, समर्पण और निरंतर प्रयास की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
- चंद्रयान-3 मिशन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक नया अध्याय खोला।
- यह मिशन भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी देश की मान्यता को मजबूती दी।
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Chandrayaan-3 के लॉन्च के दौरान इसरो के चंद्रयान-2 मिशन पर नजर
- चंद्रयान-3 के लॉन्च के समय, चंद्रयान-2 मिशन की टीम ने इसे ध्यान से नजरअंदाज नहीं किया।
- chandrayaan-2 के कैमरों ने विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट को सटीकता से कैद किया।
- चंद्रयान-2 की तस्वीरों में एक बड़े आकार का धूल का ढेर दिखाई दिया, जिसे थ्रस्टर्स ने छोड़ दिया था।
- इस ढेर को वे लैंडर को चंद्रमा की मिट्टी में स्थिति सुनिश्चित करने के लिए छोड़ दिया था।
- इस उपलब्धि ने इसरो की शक्तिशाली टीम की निरंतरता और उनकी साहसिक प्रक्रिया को प्रमाणित किया।
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चंद्रयान-2 की तस्वीरें उस प्रारंभिक सफलता
- chandrayaan-2 की प्रारंभिक सफलता पर आधारित तस्वीरें उसकी महत्वपूर्णता को प्रकट करती हैं।
- चंद्रयान-3 के लैंडर की भूमि पर पहुंचने के बाद, इसके इंजन ने चंद्र रेजोलिथ को धूल से भर दिया।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, लैंडिंग से लगभग 2.06 मीट्रिक टन चंद्र रेजोलिथ को फैलाया गया।
- इससे यह 1,167 वर्ग फुट क्षेत्र में विस्थापित हो गया, जो चंद्रमा के विशेष क्षेत्रों में से एक है।
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इसरो ने बताई इतनी ज्यादा धूल उड़ने की वजह
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपनी यात्रा पूरी की। इस दौरान थ्रस्टर्स के कार्य और इससे होने वाले प्रभाव के कारण चंद्रमा की सतह से सरफेसियल एपिरेगोलिथ मटेरियल निकल गया। इसके परिणामस्वरूप इजेक्ट हेलो उत्पन्न हुआ। इसरो ने विवेचना की है कि चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे ने लैंडिंग से पहले और उसके बाद की हाई रिजोल्यूशन पंचक्रोमैटिक इमेजिंग को तुलना की है। इस तुलना को कुछ घंटे पहले और बाद में किया गया।
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