PM मोदी ने किया ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2023’ कार्यक्रम का उद्घाटन, झारखंड की 3321 SHC को ट्रांसफर की गई सीड मनी
World Food India 2023: दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व खाद्य सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इस सम्मेलन में झारखंड भी एक फोकस स्टेट के रूप में शामिल है, जहाँ प्रधानमंत्री झारखंड ने 3321 एसएचजी को 11.336 करोड़ रुपये की बीज राशि को हस्तांतरित करने का ऐलान किया है। झारखंड के लिए चार नवंबर को विशेष सत्र का भी आयोजन किया गया है।
Ranchi: ‘विश्व फूड इंडिया 2023’ कार्यक्रम के दूसरे संस्करण का उद्घाटन भारतीय प्रधानमंत्री ने मंडपम में किया है। यह कार्यक्रम 3 नवंबर से 5 नवंबर तक दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित हो रहा है। इस कार्यक्रम का समापन भारतीय राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा। स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करने के उद्देश्य से, प्रधानमंत्री ने एक लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह सदस्यों को बीज पूंजी सहायता देने की पहल की है। इससे स्वयं सहायता समूहों को उनके उत्पादों की गुणवत्ता और पैकेजिंग में सुधार कर बाजार में अधिक मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
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‘कृषि निर्यात में भारत 7वें स्थान पर’
- प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद खाद्य पदार्थ के निर्यात की 150% वृद्धि की बात की.
- वह इस वृद्धि को अपने संबोधन में उजागर किया और प्रगति की महत्वपूर्ण बात की.
- हमारा कृषि-निर्यात अब विश्व स्तर पर 7वें पायदान पर है.
- खाद्य क्षेत्र में हमारा देश अन्य क्षेत्रों में निरंतर प्रगति कर रहा है.
- यह विकास व्यक्तिगत और संघटित प्रयासों का संकेत है.
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World Food India 2023 -इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि
- भारतीय जनता पार्टी सरकार ने कृषि-निर्यात नीति लागू करके देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया।
- नीति के तहत भारत में कृषि उत्पादों की वैश्विक प्रचार-प्रसार की कोशिश की गई।
- व्यापक लॉजिस्टिक्स और ढांचे का नेटवर्क विकसित करके कृषि उत्पादों की आयात-निर्यात में सुगमता प्रदान की गई।
- इस प्रयास से भारतीय किसानों को नए विपणन माध्यमों की दिशा में मदद मिली।
- देश के कृषि उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक साबित हुई।
- नवाचारी नीतियों और प्रौद्योगिकियों की मदद से कृषि सेक्टर में नए अवसर प्रदान किए गए।
- इससे देश की आर्थिक वृद्धि में सकारात्मक परिवर्तन देखा गया।
- भारतीय कृषि को विश्व पटल पर मजबूती से खड़ा किया गया।
- इससे उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिष्ठा में सुधार आया।
- भारतीय सरकार की कृषि संवर्धन के प्रति प्रतिबद्धता को प्रकट किया गया।
- इस प्रयास से देश में कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।
- किसानों को नए बाजारों का अवसर मिला, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार देखा गया।
- इससे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार दर्शाया गया।
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चार को लघु वनोत्पाद पर होगी चर्चा
- झारखंड के लिए विशेष सत्र की योजना है, जो चार नवंबर को वर्ल्ड फूड समिट में होगी।
- इस सत्र में झारखंड की लघु वनोत्पाद पर विस्तृत चर्चा होगी।
- झारखंड की वनों से प्राप्त होने वाले उत्पादों की महत्ता पर बातचीत होगी।
- इस सत्र में झारखंड की वन्य जीवन प्रजातियों की संरक्षा पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- सत्र में झारखंड की वन्य फसलों के संरक्षण और उनकी प्रबंधन प्रक्रिया पर भी विचार होगा।
- यह सत्र झारखंड को उनके वन्य उत्पादों की अधिक मार्केटिंग संभावनाओं की दिशा में मदद पहुंचा सकता है।
झारखंड ने भी भारत मंडपम ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2023’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया
- ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2023’ आयोजन, झारखंड को वैश्विक मंच पर प्रमुखता दिलाने का अवसर प्रदान करता है।
- झारखंड की परंपरागत भारतीय व्यंजनों को 200 से अधिक शेफों ने प्रस्तुत किया।
- यह अवसर 80 से अधिक देशों के उत्पादकों और निर्यातकों के लिए निवेश की दिशा में महत्वपूर्ण है।
- दिल्ली में आयोजित हुई इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया।
- इस कार्यक्रम से भारतीय खाद्य परंपरा को विश्वस्तरीय पहचान मिली है।
- झारखंड की विशेषता को दर्शाते हुए इस कार्यक्रम ने भारतीय खाद्य संस्कृति को प्रोत्साहित किया है।
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भारत मंडपम World Food India 2023 का उद्देश्य
- उसका उद्देश्य राष्ट्रीय सरकारी संस्थानों, उद्योग में विशेषज्ञ, उद्यमियों, किसानों और अन्य हितधारकों को सहभागी बनाना है।
- इसके अलावा, कृषि और खाद्य उद्योगों में निवेश के लिए एक समर्थ मंच बनाया गया है।
- उद्देश्य यह है कि सरकारी नीतियों को लागू करने में भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए।
- यह मंच उद्योग विकास के लिए सहायक योजनाएं भी प्रदान करता है।
- उद्देश्य है कि किसानों को नवाचारी कृषि तकनीकों की सहायता मिले।
- इससे किसानों के लिए नए उपायों और अवसरों का पता चल सकेगा।
- साझेदारी के माध्यम से, उद्यमियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलेगी।
- इससे उन्हें वित्तीय समर्थन और तकनीकी सहायता प्राप्त हो सकती है।
- एक साझेदारी मंच बनाकर, उद्योग और सरकारी संस्थानों के बीच समझौता स्थापित किया जा सकता है।
- इससे सरकारी नीतियों का समर्थन करने वाले उद्योगों को अधिक लाभ मिल सकता है।
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