OPS vs NPS : अब सरकारी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन सिस्टम और न्यू पेंशन सिस्टम से मुक्ति दिलाएगा GPS

Sonu

OPS vs NPS : सरकारी कर्मचारियों और उनके संगठनों ने हाल ही में पुरानी पेंशन योजना, यानी ओपीएस (Old Pension Scheme) की पुनर्स्थापना के लिए प्रदर्शन किया है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य सरकार से ओपीएस की बहाली की मांग करना है। हालांकि, इसके बीच एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों को बुरी खबर सुननी पड़ सकती है क्योंकि एक खबर के अनुसार, सरकार ओल्ड पेंशन सिस्टम और न्यू पेंशन सिस्टम से जुड़े व्यक्तियों को जीपीएस (General Provident Fund) से मुक्ति देने का मंजूरी देने की योजना बना रही है।

दिल्ली के रामलीला मैदान में पिछले कई दिनों से सरकारी कर्मचारियों और उनके संगठनों द्वारा ओपीएस (Old Pension Scheme) की बहाली के लिए प्रदर्शन किया जा रहा है। इस मुद्दे पर समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलों और गैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने भी ध्यान दिया है और उसे हवा देने का प्रयास किया है।

OPS vs NPS: केंद्र सरकार की एनडीए सरकार नई पेंशन प्रणाली की बजाय पुरानी पेंशन प्रणाली में सुधार की संकेत दे रही है। इसके बजाय, आंध्र प्रदेश की जगनमोहन रेड्डी सरकार ने ‘गारंटीड पेंशन सिस्टम’ का आरंभ किया है, जिसे ओपीएस और एनपीएस का हाइब्रिड वर्जन कहा जा रहा है। ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम के बारे में चर्चा करने से पहले, केंद्र सरकार की एनडीए सरकार ने नई पेंशन प्रणाली को बचाने के लिए सुधार करने का संकेत दिया है। इसके बावजूद, आंध्र प्रदेश की जगनमोहन रेड्डी सरकार ने एक नई पेंशन प्रणाली शुरू की है, जिसे ‘गारंटीड पेंशन सिस्टम’ कहा जा रहा है, जो ओपीएस और एनपीएस का हाइब्रिड वर्जन है।

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ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस)-

  • पहले इसे “पेंशन” कहा जाता था, लेकिन एनपीएस के आने के बाद, इसे नया नाम “ओ पी एस” मिला है। (OPS vs NPS ) इस स्कीम के तहत, सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनकी अंतिम बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में प्रदान किया जाता था। उदाहरण के लिए, यदि आपकी अंतिम सैलरी ₹20 हज़ार है, तो ओपीएस के तहत सरकार आपको ₹10,000 हर महीने पेंशन के रूप में प्रदान करती थी। इसमें साल में दो बार महंगाई भत्ता, यानी डीए वृद्धि, भी शामिल होता था। इस पेंशन की राशि सरकारी कर्मचारियों की नौकरी की अवधि और अंतिम वेतन पर निर्भर करती थी।
  • ओपीएस में सरकारी कर्मचारियों को अपनी पेंशन के लिए किसी भी प्रकार का योगदान नहीं देना पड़ता था और सरकार द्वारा किसी निधि का निर्माण नहीं किया गया था। इससे पेंशन का भार वर्तमान करदाताओं पर था, जो एक प्रकार से “क्रॉस जनरेशन सब्सिडी” का रूप धारण करता था।
  • ओपीएस एक “डिफाइंड बेनिफिट स्कीम” की तरह थी, जिससे सरकारी कर्मी को यह आसानी से गणना कर सकता था कि रिटायर होने पर उसे कितनी मासिक पेंशन मिलेगी।
  • ओपीएस के अंतर्गत सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों को जनरल पेंशन फंड का भी लाभ मिलता था। इस तहत, सरकारी कर्मचारी अपने वेतन का कुछ हिस्सा इसमें जमा कर सकते थे, जिसे रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मी को वापस मिलता था।

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एनपीएस को लेकर कर्मचारियों के विरोध का कारण OPS vs NPS

  • एनपीएस (OPS vs NPS ) में पेंशन निधि में योगदान के बाद ही कर्मचारियों को पेंशन मिलती है.
  • इससे पहले, योगदान के बिना कर्मचारियों को सरकार से पेंशन मिलती थी.
  • मार्केट लिंक्ड पेंशन स्कीम के कारण एनपीएस कर्मचारियों को चिंता में डालता है.
  • एनपीएस में सरकार निवेश बाजार में पैसे का उपयोग करती है.
  • इससे होने वाले नुकसान या फायदे का सीधा असर एनपीएस खातों पर होता है.
  • एनपीएस में पेंशन Annuity के रूप में मासिक रूप से तय की जाती है.
  • इसमें ओपीएस डीए की तरह शामिल नहीं होता.
  • एनपीएस से मिलने वाली पेंशन की सुरक्षा पर कर्मचारियों की शंकाएं बनी रहती हैं.
  • योगदान करने से पहले की पेंशन की नीति में बदलाव ने उत्पन्न की समस्याएं.
  • निवेश के परिणामस्वरूप, कर्मचारियों की पेंशन में मामूली परिवर्तन हो सकता है.

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पुरानी पेंशन व्यवस्था का समर्थन करने के पीछे राजनीतिक दलों और गैर बीजेपी शासित राज्यों के उद्देश्य- OPS vs NPS

  • राजनीतिक लाभ के दृष्टिकोण से, देश में कर्मचारियों की संख्या और उनके परिवारों से जुड़े वोट बैंक का महत्वपूर्ण है।
  • 90 लाख से अधिक केंद्र और राज्य कर्मचारियों के साथ, इससे जुड़े 6 करोड़ लोग एक महत्वपूर्ण चुनावी ब्लॉक बन सकते हैं।
  • ऑपीएस का प्रभाव आर्थिक रूप से राज्य सरकारों पर तुरंत नहीं, बल्कि भविष्य में होगा।
  • इसने राज्यों को पेंशन निधि की तैयारी के लिए समय दिया है जो भविष्य में लाभदायक हो सकता है।
  • राज्य सरकारें इस नीति को लागू करने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकती हैं।
  • कर्मचारियों की सामान्य सेवानिवृत्ति उम्र 25 वर्ष के बाद होने से राज्यों को धीरे-धीरे इसका भुगतान करना होगा।
  • इससे सभी कर्मचारियों को पेंशन का लाभ मिलेगा और सरकारों को वित्तीय बोझ में सुधार होगा।
  • राजनीतिक दल इस मुद्दे को बड़े पैम्फलेट में उठाकर चुनावी दौर में अपनी रणनीति में शामिल कर रहे हैं।
  • आश्रितों और परिवार सदस्यों के साथ जुड़े कर्मचारी वोट का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं।
  • यह नीति राजनीतिक दलों को आम जनता के बीच पॉपुलरिटी प्राप्त करने का एक माध्यम भी प्रदान करती है।

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क्या मौजूद कर्मचारी भी उठा पाएंगे पुरानी पेंशन व्यवस्था का लाभ- OPS vs NPS

  • नए ओपीएस पेंशन निधि के लिए एक नया निधि बनाना जरूरी होगा।
  • एनपीएस को ओपीएस में बदलने की प्रक्रिया विकल्पों से भरी है।
  • इसमें कर्मचारी और सरकार दोनों की सहमति होनी चाहिए।
  • ओपीएस पेंशन निधि में पैसा पीएफआरडीए के बाजारों में निवेश होता है।
  • निवेश के कारण धन स्थायी रूप से नहीं रहता, बल्कि बाजार में घूमता रहता है।
  • इसमें खाताधारक की स्वीकृति के बिना कोई कदम नहीं उठाया जा सकता।
  • यह प्रक्रिया सरकारी कर्मचारियों के लिए जटिल होगी।
  • राज्य सरकारों को नया निधि बनाने की जरूरत होगी।
  • एनपीएस को ओपीएस में बदलने में सहमति हासिल करना मुश्किल हो सकता है।
  • यह प्रक्रिया कर्मचारी और सरकार के बीच सहयोग की आवश्यकता को प्रमोट करेगी।

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क्या है ओपीएस को लेकर आरबीआई और आर्थिक विशेषज्ञों की राय- OPS vs NPS

  • आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, केरल, और पश्चिम बंगाल ने 35% पेंशन ब्याज और प्रशासनिक खर्चों पर धन खर्च किया है।
  • वित्त आयोग के अनुसार, राज्यों का अपना कर राजस्व और पेंशन बिल का अनुपात 25–26% है, कुछ राज्यों में यह 58% से अधिक है।
  • सीएजी और वित्त आयोग के अनुसार, ओपीएस के लिए राज्यों को अतिरिक्त संसाधन मोबीलाइज करना आवश्यक है, नहीं तो उन्हें बड़े पैम्बर पर कर्ज लेना होगा।
  • आरबीआई के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने ओपीएस पर चिंता जताई है, क्योंकि आगे बढ़ते समय में सरकारों को आय बढ़ानी होगी, जिससे राज्यों को बड़ा भार होगा।

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आखिर क्या हो सकता है एक सामान्य से पूर्ण रास्ता-

  • देश की आर्थिक स्थिति और कर्मचारी हितों के साथ, हाइब्रिड पेंशन व्यवस्था एक बेहतर विकल्प हो सकती है।
  • इसमें ओपीएस की तरह defined benefit और एनपीएस की तरह defined contribution होती हैं।
  • यह प्रणाली कर्मचारी हितों और आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
  • कई देशों में इस प्रकार की पेंशन प्रणाली प्रचलित है।
  • आंध्र प्रदेश की सरकार ने यहां ‘गारंटीड पेंशन सिस्टम’ को शुरू किया है।
  • इसे GPS कहा जाता है और यह एनपीएस और ओपीएस का हाइब्रिड रूप है।
  • राज्य सरकार ने 27 सितंबर को यह बिल विधानसभा में पेश किया और उसे बहुमत से पास किया गया है।
  • इस पेंशन प्रणाली से कर्मचारी हितों और आर्थिक हितों का समर्थन किया जा सकता है।
  • यह विशेषकर उन देशों के अनुसार है जहां ऐसी प्रणालियाँ सफलता से काम कर रही हैं।
  • इस हाइब्रिड पेंशन प्रणाली से आगे की नीतियों में सुधार हो सकता है।

 क्या वजह थी राज्य सरकार द्वारा जीपीएस प्रणाली शुरू करने की- OPS vs NPS

  • राज्य सरकार को OPS पेंशन प्रणाली के लागू होने से राजकोषीय तौर पर बढ़ते घाते का अंदेशा था, जिससे 2050 तक फिस्कल डेफिसिट 8% तक बढ़ने का अनुमान था।
  • राज्य सरकार को जीपीएस पेंशन प्रणाली के तहत पेंशन देने के लिए नए पेंशन निधि की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि एनपीएस खातों का उपयोग किया जा सकता है।
  • एनपीएस खातों का उपयोग करने से राज्य सरकार को मौजूदा और नए कर्मचारियों को सरलता से पेंशन प्रदान करने में सहायक होगा।
  • आंध्र प्रदेश सरकार चुनावों से पहले आर्थिक और कर्मचारी हितों को साथ लेकर साहित्य कर रही है।
  • चुनाव से पहले तेलुगु देसम पार्टी द्वारा इस मुद्दे पर हलचल मचाई जा रही है।
  • सरकार को आर्थिक असमर्थन का खतरा है जब OPS पेंशन प्रणाली लागू होती है।
  • एनपीएस के माध्यम से सरकार ने कर्मचारियों के लिए सुविधाजनक पेंशन योजना बनाई है।
  • चुनाव से पहले सरकार ने समर्थन बढ़ाने के लिए कदम उठाया है।
  • आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रणाली राजकोषीय तौर पर संभालने में कठिनाई पैदा कर सकती है।
  • राज्य की सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में नए कदम उठाने का निर्णय लिया है।
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