7th Pay Commission News: केंद्रीय कर्मचारियों के 18 महीने के बकाया महंगाई भत्ते (डीए) के मामले में सरकार पर फिर से दबाव बढ़ता जा रहा है। यह मामला एक बार फिर से संसद में उठाया गया, जहाँ सांसदों ने केंद्र सरकार से इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। विपक्ष के प्रमुख नेता अखिलेश यादव ने भी सरकार की आलोचना की है, जिससे यह मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
संसद में फिर उठा डीए बकाया का मुद्दा
सांसदों ने सरकार से सवाल किया कि जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, तो 18 महीने के बकाया डीए को जारी न करने का क्या कारण है। उन्होंने सरकार से 2024 के दौरान इस संबंध में प्राप्त अभ्यावेदनों और की गई कार्रवाई का विवरण भी मांगा। इस मुद्दे पर सरकार को सदन में जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सरकार का जवाब
राज्यसभा में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इस मामले पर सरकार का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान, सरकार ने वित्तीय दबाव को कम करने के लिए 01.01.2020, 01.07.2020, और 01.01.2021 से देय डीए और डीआर की तीन किस्तों को फ्रीज करने का निर्णय लिया था। मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि 2024 के दौरान सरकार को विभिन्न कर्मचारी संगठनों से इस मामले पर कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं। हालांकि, मंत्री ने कहा कि महामारी के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट के चलते, इन बकाया किस्तों को जारी करना संभव नहीं है।
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अखिलेश यादव की आलोचना
इस बीच, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा डीए बकाया को रोकना कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के साथ अन्याय है। सरकार द्वारा डीए की तीन किस्तों को रोकने से 34,402.32 करोड़ रुपये की बचत हुई थी, जिसे कोविड महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट से निपटने के लिए उपयोग किया गया।
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि डीए बकाया को जारी करने का निर्णय लेना सरकार के लिए वित्तीय दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह कदम कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की वित्तीय स्थिति को सुधारने में मददगार हो सकता है। सरकार को अब इस मुद्दे पर और ध्यान देना होगा, क्योंकि विपक्ष और कर्मचारी यूनियनें लगातार इस पर जोर दे रही हैं।
निष्कर्ष
18 महीने के बकाया डीए का मुद्दा अब फिर से सुर्खियों में है, और सरकार पर इस मामले में कार्रवाई करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। संसद में इस मुद्दे के उठने और विपक्ष द्वारा की गई आलोचना से यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी बड़ा हो सकता है। देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या केंद्रीय कर्मचारियों को उनका बकाया डीए मिल पाएगा।