Bank FD vs Corporate FD: बैंक FD और कॉर्पोरेट FD में क्या अंतर है? सब कुछ विस्तार से जानिए

Sonu

Bank FD vs Corporate FD: व्यवहार में फिक्स्ड डिपॉजिट के दो सबसे आम और लोकप्रिय प्रकार हैं, पहला है बैंक एफडी और दूसरा है कॉर्पोरेट एफडी। ये दोनों टर्म डिपॉजिट अपने-अपने वित्तीय लाभ और चुनौतियों के साथ निवेशकों के लिए अच्छे निवेश विकल्प हैं। देश के ज्यादातर लोग बैंक एफडी के बारे में जानते हैं लेकिन कई निवेशक अभी भी कॉरपोरेट एफडी से परिचित नहीं हैं। यहां जानिए बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी के बीच समानताएं और अंतर, उनके जोखिम और लाभ।

जानिए बैंक एफडी के बारे में

FD Comparison: बैंक एफडी एक वित्तीय निवेश उपकरण है जिसमें लोग अपना पैसा बैंकों में जमा करते हैं। इसके लिए एक सीमित और निश्चित समय होता है जिसे जमा की अवधि कहा जाता है। इस जमा राशि पर जमाकर्ता को पूर्व निर्धारित ब्याज दर मिलती है। अगर किसी जरूरत के लिए बैंक एफडी तोड़ी जाती है या उसमें से पैसा निकाला जाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है।

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कॉर्पोरेट एफडी क्या है?

कॉरपोरेट एफडी भी एक प्रकार का फिक्स्ड डिपॉजिट है जिसमें गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां और अन्य कंपनियां निवेशकों को एक निश्चित अवधि के लिए पैसा जमा करने की अनुमति देती हैं। कंपनियां इस एफडी पर बैंकों और अन्य फाइनेंस कंपनियों के मुकाबले ज्यादा ब्याज देती हैं। इन कंपनियों को कंपनी कानून के तहत जमा लेने का अधिकार है।

कॉर्पोरेट एफडी के क्या फायदे हैं?

कॉरपोरेट एफडी में जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज दरें अधिक होती हैं, इसलिए इसमें निवेश करना बेहतर माना जाता है।

कॉर्पोरेट FD और बैंक FD में क्या अंतर है?

कॉर्पोरेट एफडी बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज दर प्रदान करते हैं। बैंक एफडी में ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर टर्म डिपॉजिट की सुविधा दी जाती है।

आप बैंक एफडी की तुलना में कॉरपोरेट एफडी से कम समय में पैसा निकाल सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, कॉर्पोरेट एफडी खोलने के तीन महीने की अवधि के भीतर पैसा निकालने पर जुर्माना देना पड़ता है।

कॉर्पोरेट FD और बैंक FD में से कौन अधिक जोखिम भरा है?

बैंक एफडी में निवेशकों का 5 लाख रुपये तक का पैसा सुरक्षित रहता है. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के तहत बैंक एफडी का कम से कम इतनी रकम के लिए बीमा किया जाता है।

कॉरपोरेट एफडी में वित्तीय जोखिम अधिक होता है क्योंकि इसमें कंपनियों द्वारा कोई वैधानिक गारंटी नहीं दी जाती है।

हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कॉर्पोरेट एफडी बैंकों की तुलना में सबसे ज्यादा ब्याज देती हैं। कॉरपोरेट एफडी पर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन से बीमा कवर नहीं मिलता है, इसलिए एफडी में पैसा जमा करने से पहले क्रिसिल, केयर या आईसीआरए जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा कंपनी को दी गई रेटिंग जरूर जांच लें।

कॉर्पोरेट एफडी की विशेषताएं

एनबीएफसी और एचएफसी कॉर्पोरेट एफडी के लिए कई विकल्प प्रदान करते हैं। जमाकर्ता मासिक, त्रैमासिक (तीन महीने), अर्ध-वार्षिक (छह महीने) और वार्षिक रूप से ब्याज अर्जित कर सकते हैं।

कॉरपोरेट एफडी पर भी ऋण ले सकते हैं जो संचयी और गैर-संचयी योजनाओं के लिए लिया जा सकता है। कॉरपोरेट एफडी पर लोन लेने पर कई वित्तीय संस्थान फिक्स्ड डिपॉजिट रेट से 2 फीसदी ज्यादा ब्याज लेते हैं. हालांकि कॉरपोरेट एफडी पर कोई गारंटी नहीं है, लेकिन अनुसूचित बैंक में खोली गई एफडी में संचयी एफडी पर 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर दिया जाता है।

कॉर्पोरेट एफडी और बैंक एफडी पर टैक्स गणना जानें Bank FD vs Corporate FD:

  • कॉरपोरेट एफडी से प्राप्त ब्याज पर जमाकर्ता के टैक्स स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।
  • निवेशक की आय के हिसाब से बैंक और कंपनियां टैक्स वसूलती हैं।
  • आयकर अधिनियम के अंतर्गत, बैंक एफडी पर 1 वर्ष में 10,000 रुपये से अधिक ब्याज पर टीडीएस लागू होती है।
  • कंपनी एफडी में इस सीमा को 5000 रुपये तक निर्धारित किया गया है।
  • निवेशक जिस इनकम टैक्स स्लैब में है, उसके हिसाब से कर लगाया जाता है।
  • बैंकों और कंपनियों द्वारा टैक्स वसूलने के लिए निवेशकों की आय को मूल्यांकन किया जाता है।
  • एफडी से प्राप्त ब्याज पर टीडीएस की चुक्ति के लिए आयकर अधिनियम के प्रावधानों का पालन किया जाता है।
  • निवेशक की आय के हिसाब से बैंक और कंपनियां अलग-अलग सीमाएं निर्धारित करती हैं।
  • बैंक एफडी पर टीडीएस की शुरुआती सीमा 10,000 रुपये है।
  • कंपनी एफडी में इस सीमा को घटाकर 5000 रुपये तक किया गया है।

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कौन सा लिक्विडिटी के लिहाज से बेहतर है Bank FD vs Corporate FD:

  • कॉर्पोरेट एफडी में समय पहले निकासी पर उच्च जुर्माना लग सकता है, वहीं बैंक एफडी तरलता प्रदान करती है।
  • कई बार कॉर्पोरेट एफडी समय पहले निकासी की पेशकश नहीं करती है।
  • बैंक एफडी में निवेशकों को मामूली जुर्माना देकर अपना पैसा निकालने की सुविधा है।
  • कुछ बैंक एफडी में 5-10 साल की लॉक-इन अवधि के लाभ के साथ टैक्स छूट होती है।
  • कॉर्पोरेट एफडी पर कोई टैक्स छूट नहीं है, विरोधता में बैंक एफडी अच्छी सुविधा प्रदान करती है।
  • टैक्स लाभ के साथ बैंक एफडी में निवेश करने से निवेशकों को लाभ होता है।
  • कॉर्पोरेट एफडी में निवेशकों को समय पहले निकासी की बाधा हो सकती है।
  • बैंक एफडी सुरक्षित और टैक्स लाभ के साथ निवेश के लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकती है।
  • कॉर्पोरेट एफडी के उच्च जुर्माने की तुलना में, बैंक एफडी सुविधा में बेहतरीन हो सकती है।
  • बैंक एफडी में निवेश करने पर निवेशकों को सुरक्षा और टैक्स छूट का दोहन हो सकता है।

बैंक एफडी/कॉर्पोरेट एफडी के लिए आवश्यक दस्तावेज

आधार कार्ड
वोटर आई कार्ड
पासपोर्ट साइज फोटो
राशन पत्रिका
पासपोर्ट
पैन कार्ड
सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पते का प्रमाण

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बैंक FD और कॉर्पोरेट FD में से क्या चुनें? Bank FD vs Corporate FD:

  • निवेशकों को निर्णय लेना चाहिए, जिसमें उनका विवेक और वित्तीय लक्ष्यों का समाहित होना चाहिए।
  • वे जोखिम और रिटर्न को समझने के लिए दोनों एफडी की जानकारी करें।
  • जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर ही निवेश का निर्णय लें।
  • जोखिम न लेने की स्थिति में, बैंक एफडी अच्छा विकल्प है।
  • पेशेवर निवेशक के लिए कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट उत्तम हो सकता है।
  • निवेश में जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन रखना महत्वपूर्ण है।
  • जोखिम लेने की क्षमता रखने वाले निवेशकों के लिए उच्च रिटर्न के साथ कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट विकल्पित है।
  • निवेश में स्थिरता बनाए रखने के लिए एफडी का चयन सुरक्षित हो सकता है।
  • विवेकपूर्ण निवेश से निवेशक अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहारा पा सकते हैं।
  • निवेश में सफलता प्राप्त करने के लिए अपनी आर्थिक स्थिति और जोखिम प्रतिस्थापन क्षमता का सही मूल्यांकन करें।
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