NPS vs OPS : अब केंद्रीय कर्मचारियों की पेंशन स्कीम में बदलाव, अंतिम सैलरी की 40 से 50 फिसदी मिलेगी पेंशन

Sonu

NPS vs OPS : यदि आप केंद्रीय कर्मचारी हैं, तो यह समाचार आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। भारतीय सरकार नेशनल पेंशन स्कीम में कुछ परिवर्तन करने की योजना बना रही है। नई संशोधित पेंशन योजना में निवेश का तरीका बदल सकता है, जिसमें बाजारी रिटर्न को महत्व दिया जा सकता है। हालांकि, सरकार का प्रस्ताव है कि कर्मचारी की अंतिम वेतन का कम से कम 40 प्रतिशत योगदान करना अनिवार्य हो सकता है।

केंद्र सरकार की ओर से नेशनल पेंशन स्कीम में इस साल के अंत तक संशोधन की संभावना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी का कम से कम 40-45 फीसदी मिले। एक हाई-लेवल पैनल ने इस सिफारिश की थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में शामिल दो व्यक्तियों ने बताया है कि वर्तमान में इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।

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क्या हो सकता है बदलाव- NPS vs OPS :

राष्ट्रीय पेंशन योजना में सरकार को कुछ परिवर्तन करने की संभावना है। संशोधित पेंशन योजना बाजारी लाभों के साथ जुड़ी रहेगी। लेकिन सरकार कर्मचारी की अंतिम वेतन का कम से कम 40 प्रतिशत देने के तंत्र पर काम कर सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी का कहना है कि सरकार एक आधार राशि सुनिश्चित कर सकती है। इसका मतलब है कि यदि भुगतान न्यूनतम राशि से कम है, तो सरकार को पेंशन में कमी को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप करना होगा। वर्तमान में कर्मचारी औसतन 36 से 38 प्रतिशत के बीच लाभ प्राप्त करते हैं।

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एनपीएस पर क्यों है विवाद- NPS vs OPS :

  • पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशनभोगियों को रिटायरमेंट के समय मिले वेतन का 50% मासिक लाभ मिलता था।
  • 2004 में शुरू हुई मौजूदा मार्केट-लिंक्ड पेंशन प्लान गारंटीड आधार रकम नहीं प्रदान करती।
  • नए पेंशन प्लान में विवाद है क्योंकि इसमें कोई गारंटीड आधार रकम नहीं होती है।
  • पुरानी स्कीम में लाभ निश्चित था, जबकि नए प्लान में ऐसा नहीं होता है।
  • इससे लोगों के बीच विश्वास और संदेह बढ़ रहे हैं।
  • पुराने और नए प्लान के बीच तुलना करते समय लोगों को समझने में मुश्किल हो रही है।
  • गारंटीड आधार पर वेतन में स्थिरता और निश्चितता की कमी होती है।
  • साथ ही, मार्केट-लिंक्ड प्लान में निवेश की जोखिम भी अधिक होती है।
  • इस विवाद को सुलझाने के लिए सरकार कठिनाईयों का सामना कर रही है।
  • पेंशन योजनाओं में इस संदेह को हल करने के लिए नए प्रस्ताव और सुधार की आवश्यकता है।

नए पेंशन स्कीम (एनपीएस) में, कर्मचारी की सैलरी का 10 प्रतिशत योगदान होता है और सरकार 14 प्रतिशत का योगदान प्रदान करती है। पुराने पेंशन स्कीम में, कर्मचारी को कोई योगदान नहीं दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, एनपीएस पेंशनर्स को रिटायरमेंट के समय 60 प्रतिशत कोष टैक्स फ्री होता है और 40 प्रतिशत हिस्सा कर भुगतान के लायक होता है।

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एनपीएस में किसका कितना है योगदान-

  • राष्ट्रीय पेंशन योजना में 87 लाख कर्मचारी भागीदार हैं।
  • कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10% योगदान करते हैं।
  • सरकार 14% का भुगतान करती है।
  • अंतिम भुगतान निवेश के रिटर्न पर निर्भर करता है।
  • यह फंड सरकारी ऋणों में निवेश किया जाता है।
  • ऋणों के निवेश से फंड की लाभांश तय होती है।
  • कर्मचारियों का पेंशन इस लाभांश पर निर्भर करता है।
  • योजना के तहत कर्मचारियों को संगठित पेंशन प्राप्त होती है।
  • इससे सामाजिक सुरक्षा का भी आदान-प्रदान होता है।
  • यह योजना कर्मचारियों को अच्छी वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
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