भारत सरकार द्वारा वेतन आयोग की स्थापना का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे में समय-समय पर बदलाव और सुधार करना है। आजादी के बाद से सात वेतन आयोग गठित किए जा चुके हैं, जो कि नई दिल्ली में स्थित हैं। इन आयोगों की सिफारिशों के आधार पर सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं में सुधार किया जाता है। सबसे पहला वेतन आयोग जनवरी 1946 में श्रीनिवास वरदाचारी की अध्यक्षता में गठित हुआ था, जिसने अपना पहला रिपोर्ट मई 1947 में अंतरिम सरकार को सौंपी थी।
7वां वेतन आयोग: परिचय और स्थापना
सातवां वेतन आयोग भारत सरकार द्वारा 25 सितंबर 2013 को घोषित किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इसे मंजूरी दी, और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हुईं। आयोग का नेतृत्व न्यायमूर्ति ए. के. माथुर द्वारा किया गया, और इसकी सिफारिशों के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी की गई। नई वेतन संरचना को सरल और समझने योग्य बनाने के लिए वेतन मैट्रिक्स तैयार किया गया, जिसे ‘सातवां वेतन आयोग मैट्रिक्स’ कहा जाता है। यह मैट्रिक्स कर्मचारियों के लिए स्पष्ट और समझने में आसान बनाया गया है, ताकि वे अपने वेतन में हुए बदलावों को समझ सकें।
वेतन मैट्रिक्स और इसकी संरचना
सातवां वेतन आयोग मैट्रिक्स केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 28 फरवरी 2014 को मंजूर किया गया। इसके तहत पगार, भत्ते और अन्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के लिए एक व्यापक ढांचा तैयार किया गया। इसमें औद्योगिक और गैर-औद्योगिक सरकारी कर्मचारी, अखिल भारतीय सेवा कर्मचारी, केंद्रशासित प्रदेशों के कर्मचारी, भारतीय लेखापरीक्षण और लेखा विभाग के अधिकारी और अन्य शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को उनके अनुभव और पद के आधार पर उपयुक्त वेतन देना है।
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कर्मचारियों के लिए न्यूनतम और अधिकतम वेतन
सातवां वेतन आयोग द्वारा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया, जिससे किसी भी सरकारी कर्मचारी को इससे कम वेतन नहीं मिलेगा। इसके अलावा, उच्चतम श्रेणी के कर्मचारियों के लिए अधिकतम वेतन 2.25 लाख रुपये प्रति माह, जबकि कैबिनेट सचिव और उनके समकक्ष कर्मचारियों के लिए 2.5 लाख रुपये प्रति माह की सिफारिश की गई है।
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सातवें वेतन आयोग के लाभ
सातवां वेतन आयोग न केवल वर्तमान सरकारी कर्मचारियों के लिए बल्कि पेंशनधारकों के लिए भी लाभकारी सिद्ध हुआ है। इसके तहत कर्मचारियों की वर्तमान आय में 2.57% की वृद्धि की गई, जो एक महत्वपूर्ण कदम है। इस वेतन आयोग ने वेतन मैट्रिक्स और अग्रिम वेतन श्रेणी की स्थापना की, जिससे कर्मचारियों और पेंशनधारकों को आर्थिक रूप से सशक्त किया गया है।
निष्कर्ष
सातवां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए एक बड़ा सुधार लाया है। यह न केवल वेतन में बढ़ोतरी करता है, बल्कि कर्मचारियों के लिए बेहतर भत्ते और सुविधाएं भी प्रदान करता है। आयोग की सिफारिशें सरकार द्वारा समय पर लागू की गईं, जिससे सरकारी सेवा क्षेत्र में सुधार और स्थिरता आई है।